इकबाल लोहा एक बे-रहम कातिल था. खून करने के बाद वह इस तरह मुस्कुराता था जैसे बच्चे मिठाई खाने के बाद मुस्कुराते है. कानून-पुलिस और सज़ा से वह कभी भी नहीं डरा उसका कलेजा पत्थर का था मगर एक दिन वह डर गया. एक छोटी सी मासूम बच्ची के आसुओं से जो अपने पिता के लौटने का इन्तज़ार कर रही थी जब के उस के पिता का खून भी इकबाल लोहा ने कीया था।
बच्ची के आंसू ने पत्थर दिल इकबाल को मोम बना कर पिघलाना शुरु कर दिया. मगर यह बात उस आदमी को पसंद नहीं आयी जिसके फायदे के लिए इकबाल लोहा लोगों की लाशें गिराता था. वह इकबाल लोहा को शैतान के रुप में देखना चाहता था जब की इकबाल लोहा उस बच्ची के प्यार में इन्सान बनने की कोशिश कर रहा था. नतीजा क्या हुआ?
क्या इकबाल लोहा इन्सान बन सका? क्या उस बच्ची के प्यार में इकबाल लोहा अपने आपको बदल सका? इन सवालों का जवाब पाने के लिए देखीए ईश्वर फिल्म कृत "एक लुटेरा".
(From the official press booklets)